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Goverdhan Pooja: Mahatva, Katha Aur Pooja Vidhi : गोवर्धन पूजा: महत्व, कथा और पूजा विधि

By: Mitali kanojiyaLast Updated: Date 26-10-2024

Goverdhan Pooja: Mahatva, Katha Aur Pooja Vidhi :  गोवर्धन पूजा: महत्व, कथा और पूजा विधि

परिचय: गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है, दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की घटना का प्रतीक है, जब उन्होंने गांववासियों की रक्षा की थी। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करके भगवान कृष्ण को धन्यवाद देते हैं और प्रकृति का सम्मान करते हैं। इस ब्लॉग में हम गोवर्धन पूजा के महत्व, कथा, और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।



1. गोवर्धन पूजा का महत्व: गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है:

  • प्राकृतिक पूजा का प्रतीक: इस दिन गोवर्धन पर्वत, जो प्रकृति का प्रतीक है, की पूजा की जाती है। यह पर्व हमें प्रकृति की सुरक्षा और उसका आदर करना सिखाता है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से भगवान कृष्ण ने यह संदेश दिया कि हमें प्रकृति की पूजा और रक्षा करनी चाहिए।

  • कृष्ण भक्ति का दिन: गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण की लीलाओं को याद किया जाता है। यह पर्व उनके द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने इंद्र के अहंकार को तोड़ते हुए अपनी भक्तों की रक्षा की थी।

2. गोवर्धन पूजा की कथा: गोवर्धन पूजा की कथा बहुत प्रसिद्ध है और इसे सुनने से भक्तों को विशेष आनंद मिलता है:

  • गोवर्धन पर्वत की पूजा का आदेश: एक बार गोकुल के लोग हर साल की तरह इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे थे। भगवान कृष्ण ने उनसे कहा कि इंद्र देव के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि यह पर्वत उनकी रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करता है। गोकुलवासी कृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे।

  • इंद्र का प्रकोप: इंद्र देव को यह देखकर बहुत क्रोध आया और उन्होंने गोकुल पर भयंकर बारिश कर दी। भारी बारिश से गोकुलवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया। सात दिनों तक उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा और गोकुलवासी उसकी छांव में सुरक्षित रहे। अंततः इंद्र ने अपनी गलती मानी और भगवान कृष्ण की आराधना की।

  • अन्नकूट उत्सव: गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत को प्रतीकात्मक रूप से गाय के गोबर से बनाया जाता है और उसे अन्नकूट, यानि विभिन्न प्रकार के अन्न और भोजन से सजाया जाता है। भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

3. गोवर्धन पूजा विधि: गोवर्धन पूजा के दिन विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है, जो इस प्रकार है:

  • गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाना: इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का आकार बनाकर उसकी पूजा की जाती है। इसे गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर फूल, दीप, और धूप लगाकर सजाया जाता है।

  • अन्नकूट का भोग: गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है, जिसे अन्नकूट कहते हैं। इसमें चावल, दाल, मिठाइयाँ, सब्जियाँ, और अन्य व्यंजनों को शामिल किया जाता है। इसके बाद इस प्रसाद को परिवार और आस-पास के लोगों में बांटा जाता है।

  • परिक्रमा करना: गोवर्धन पर्वत के प्रतीक की परिक्रमा की जाती है। मान्यता है कि इससे भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

  • गोवर्धन की कथा सुनना: इस दिन भगवान कृष्ण की गोवर्धन लीला की कथा सुनी जाती है। इससे भक्ति भाव बढ़ता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

4. गोवर्धन पूजा की तिथि और समय: गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में सही जानकारी के लिए हमेशा पंचांग देखें।
विस्तृत जानकारी के लिए इस पंचांग लिंक पर जाएं।

5. गोवर्धन पूजा के दिन विशेष बातें:

  • गायों की पूजा: गोवर्धन पूजा के दिन गायों की पूजा भी की जाती है। गाय को हिंदू धर्म में माता का स्थान दिया गया है और उनकी सेवा से भगवान की कृपा मिलती है।

  • प्राकृतिक संसाधनों का महत्व: इस पर्व के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का आदर करना चाहिए और उनके संरक्षण की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

समाप्ति: गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति की सुरक्षा और भगवान की भक्ति का संदेश भी देता है। भगवान कृष्ण की लीला हमें यह सिखाती है कि जब हम प्रकृति का सम्मान करते हैं, तो वह हमारी हर स्थिति में रक्षा करती है। इस गोवर्धन पूजा पर अपने प्रियजनों के साथ खुशियाँ बांटें और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करें।

गोवर्धन पूजा के महत्व और उसकी सही विधि के बारे में जानकारी पाने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए धन्यवाद। आपका पर्व मंगलमय हो!

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