
परिचय: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा, जिसे अनà¥à¤¨à¤•ूट à¤à¥€ कहा जाता है, दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। यह परà¥à¤µ à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ को उठाने की घटना का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है, जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गांववासियों की रकà¥à¤·à¤¾ की थी। इस दिन लोग गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ की पूजा करके à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देते हैं और पà¥à¤°à¤•ृति का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं। इस बà¥à¤²à¥‰à¤— में हम गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के महतà¥à¤µ, कथा, और पूजा विधि के बारे में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जानेंगे।
1. गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा का महतà¥à¤µ: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा का धारà¥à¤®à¤¿à¤• और सांसà¥à¤•ृतिक महतà¥à¤µ है:
पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक पूजा का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•: इस दिन गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤, जो पà¥à¤°à¤•ृति का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है, की पूजा की जाती है। यह परà¥à¤µ हमें पà¥à¤°à¤•ृति की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ और उसका आदर करना सिखाता है। गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने यह संदेश दिया कि हमें पà¥à¤°à¤•ृति की पूजा और रकà¥à¤·à¤¾ करनी चाहिà¤à¥¤
कृषà¥à¤£ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का दिन: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के दिन à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की लीलाओं को याद किया जाता है। यह परà¥à¤µ उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ उठाने की कथा से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है, जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इंदà¥à¤° के अहंकार को तोड़ते हà¥à¤ अपनी à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ की थी।
2. गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा की कथा: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा की कथा बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है और इसे सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को विशेष आनंद मिलता है:
गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ की पूजा का आदेश: à¤à¤• बार गोकà¥à¤² के लोग हर साल की तरह इंदà¥à¤° देव की पूजा की तैयारी कर रहे थे। à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने उनसे कहा कि इंदà¥à¤° देव के बजाय गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ की पूजा करनी चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह परà¥à¤µà¤¤ उनकी रोजमरà¥à¤°à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•ताओं को पूरा करता है। गोकà¥à¤²à¤µà¤¾à¤¸à¥€ कृषà¥à¤£ की बात मानकर गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ की पूजा करने लगे।
इंदà¥à¤° का पà¥à¤°à¤•ोप: इंदà¥à¤° देव को यह देखकर बहà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§ आया और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गोकà¥à¤² पर à¤à¤¯à¤‚कर बारिश कर दी। à¤à¤¾à¤°à¥€ बारिश से गोकà¥à¤²à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बचाने के लिठà¤à¤—वान कृषà¥à¤£ ने अपनी छोटी अंगà¥à¤²à¥€ पर गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ उठा लिया। सात दिनों तक उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ को उठाठरखा और गोकà¥à¤²à¤µà¤¾à¤¸à¥€ उसकी छांव में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहे। अंततः इंदà¥à¤° ने अपनी गलती मानी और à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की आराधना की।
अनà¥à¤¨à¤•ूट उतà¥à¤¸à¤µ: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के दिन गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ को पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•ातà¥à¤®à¤• रूप से गाय के गोबर से बनाया जाता है और उसे अनà¥à¤¨à¤•ूट, यानि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार के अनà¥à¤¨ और à¤à¥‹à¤œà¤¨ से सजाया जाता है। à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ को अनà¥à¤¨à¤•ूट का à¤à¥‹à¤— लगाया जाता है।
3. गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा विधि: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के दिन विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है, जो इस पà¥à¤°à¤•ार है:
गोबर से गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ बनाना: इस दिन गाय के गोबर से गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ का आकार बनाकर उसकी पूजा की जाती है। इसे गोबर से बने गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ पर फूल, दीप, और धूप लगाकर सजाया जाता है।
अनà¥à¤¨à¤•ूट का à¤à¥‹à¤—: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा में à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार के पकवानों का à¤à¥‹à¤— लगाया जाता है, जिसे अनà¥à¤¨à¤•ूट कहते हैं। इसमें चावल, दाल, मिठाइयाà¤, सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤, और अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤‚जनों को शामिल किया जाता है। इसके बाद इस पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ को परिवार और आस-पास के लोगों में बांटा जाता है।
परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करना: गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की जाती है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि इससे à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है और जीवन में सà¥à¤–-समृदà¥à¤§à¤¿ आती है।
गोवरà¥à¤§à¤¨ की कथा सà¥à¤¨à¤¨à¤¾: इस दिन à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की गोवरà¥à¤§à¤¨ लीला की कथा सà¥à¤¨à¥€ जाती है। इससे à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µ बढ़ता है और à¤à¤—वान की कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है।
4. गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा की तिथि और समय: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा दीपावली के अगले दिन कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास की शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾ तिथि को मनाई जाती है। तिथि और शà¥à¤ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ के बारे में सही जानकारी के लिठहमेशा पंचांग देखें।
विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जानकारी के लिठइस पंचांग लिंक पर जाà¤à¤‚।
5. गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के दिन विशेष बातें:
गायों की पूजा: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के दिन गायों की पूजा à¤à¥€ की जाती है। गाय को हिंदू धरà¥à¤® में माता का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया गया है और उनकी सेवा से à¤à¤—वान की कृपा मिलती है।
पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक संसाधनों का महतà¥à¤µ: इस परà¥à¤µ के माधà¥à¤¯à¤® से हमें यह सीख मिलती है कि हमें पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक संसाधनों का आदर करना चाहिठऔर उनके संरकà¥à¤·à¤£ की दिशा में पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिà¤à¥¤
समापà¥à¤¤à¤¿: गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा केवल धारà¥à¤®à¤¿à¤• परà¥à¤µ नहीं है, बलà¥à¤•ि यह हमें पà¥à¤°à¤•ृति की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ और à¤à¤—वान की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का संदेश à¤à¥€ देता है। à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की लीला हमें यह सिखाती है कि जब हम पà¥à¤°à¤•ृति का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं, तो वह हमारी हर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में रकà¥à¤·à¤¾ करती है। इस गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा पर अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के साथ खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बांटें और à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करें।
गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा के महतà¥à¤µ और उसकी सही विधि के बारे में जानकारी पाने के लिठइस बà¥à¤²à¥‰à¤— को पढ़ने के लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤ आपका परà¥à¤µ मंगलमय हो!
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