
महातà¥à¤®à¤¾ गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® के महान नेता और विशà¥à¤µ के सबसे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• माने जाते हैं। उनका जनà¥à¤® 2 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1869 को पोरबंदर, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में हà¥à¤†à¥¤ गांधी जी ने अपने जीवन में सतà¥à¤¯, अहिंसा और धरà¥à¤® के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को अपनाया और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने आंदोलन का आधार बनाया।
गांधी जी की शिकà¥à¤·à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ 1888 में इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड जाने से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ, जहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कानून की पढ़ाई की। इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड में रहने के दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ संसà¥à¤•ृति को नजदीक से देखा, लेकिन अपने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं à¤à¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ 1893 में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•ा पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहाठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के खिलाफ हो रहे à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के खिलाफ आवाज उठाई। वहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त विकसित किया, जिसमें अहिंसातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§ को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता दी गई।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में योगदान
1915 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ लौटने के बाद, गांधी जी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤— लिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चंपारण सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹, खेड़ा सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ और नमक सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ जैसे कई महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ आंदोलनों का नेतृतà¥à¤µ किया। उनका सबसे पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ आंदोलन 1930 में हà¥à¤†, जिसे "नमक मारà¥à¤š" कहा जाता है। इस आंदोलन ने बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार के नमक कानून के खिलाफ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जन समरà¥à¤¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोगों में सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की लहर को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया।
गांधी जी ने हमेशा अहिंसा को अपने आंदोलनों का मà¥à¤–à¥à¤¯ आधार माना। उनका मानना था कि हिंसा केवल और हिंसा को जनà¥à¤® देती है, जबकि अहिंसा से समाज में सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ परिवरà¥à¤¤à¤¨ लाया जा सकता है। उनका यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ में, बलà¥à¤•ि विशà¥à¤µà¤à¤° में मानवाधिकारों के लिठसंघरà¥à¤· करने वाले लोगों के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ बना।
जीवन दरà¥à¤¶à¤¨ और विरासत
गांधी जी का जीवन दरà¥à¤¶à¤¨ सादा और सरल था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमेशा खà¥à¤¦ को जन सेवा के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रखा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ आंदोलन को बढ़ावा दिया और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने देश में उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का उपयोग करने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। उनका आदरà¥à¤¶ जीवन जीने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देता है कि कैसे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों पर अडिग रहकर समाज में परिवरà¥à¤¤à¤¨ ला सकता है।
महातà¥à¤®à¤¾ गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हà¥à¤†, जब नाथूराम गोडसे ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गोली मार दी। उनके निधन ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ को शोक में डà¥à¤¬à¥‹ दिया, लेकिन उनका विचार और कारà¥à¤¯ आज à¤à¥€ लोगों को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता है। गांधी जी ने हमें सिखाया कि सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और अहिंसा के मारà¥à¤— पर चलकर हम किसी à¤à¥€ कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
गांधी जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आयोजित कà¥à¤› पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आंदोलन दिठगठहैं:
1. चंपारण सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ (1917)
चंपारण, बिहार में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ जमींदारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसानों के शोषण के खिलाफ यह पहला सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ था। गांधी जी ने किसानों की समसà¥à¤¯à¤¾ को समà¤à¤¾ और उनके अधिकारों के लिठलड़ाई शà¥à¤°à¥‚ की। इस आंदोलन ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को मजबूती दी।
2. खेड़ा सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ (1918)
गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के खेड़ा जिले में जब फसल बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ हो गई, तब किसानों ने कर माफी की मांग की। गांधी जी ने किसानों को समरà¥à¤¥à¤¨ दिया और अहिंसातà¥à¤®à¤• तरीके से पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया। अंततः सरकार ने कर माफी की घोषणा की।
3. असहमति आंदोलन (1920-1922)
गांधी जी ने असहमति आंदोलन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की, जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का बहिषà¥à¤•ार करने और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ सामान अपनाने का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ किया। यह आंदोलन à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जन जागरूकता का हिसà¥à¤¸à¤¾ बना।
4. नमक सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ (1930)
गांधी जी ने 12 मारà¥à¤š 1930 को साबरमती आशà¥à¤°à¤® से दांडी तक मारà¥à¤š किया, जहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤¦à¥à¤° के पानी से नमक बनाने का कारà¥à¤¯ किया। यह आंदोलन बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ नमक कानून के खिलाफ था और पूरे देश में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• समरà¥à¤¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया।
5. à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो आंदोलन (1942)
"अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो" का नारा देकर गांधी जी ने यह आंदोलन शà¥à¤°à¥‚ किया। इस आंदोलन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन का अंत करना था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लोगों से बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के खिलाफ à¤à¤•जà¥à¤Ÿ होकर संघरà¥à¤· करने की अपील की।
6. दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान विरोध (1940)
गांधी जी ने दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन का विरोध किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने "à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो" आंदोलन के माधà¥à¤¯à¤® से सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की मांग को और तेज किया।
निषà¥à¤•रà¥à¤·
महातà¥à¤®à¤¾ गांधी का जीवन और उनका योगदान न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठबलà¥à¤•ि पूरी मानवता के लिठमहतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह सिदà¥à¤§ कर दिया कि à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ अपने विचारों और सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों के बल पर समाज में कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति ला सकता है। आज, जब हम गांधी जी की जयंती मनाते हैं, हमें उनके विचारों को अपनाने और समाज में सकारातà¥à¤®à¤• परिवरà¥à¤¤à¤¨ लाने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेनी चाहिà¤à¥¤ उनके सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त हमें बताते हैं कि सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और अहिंसा का मारà¥à¤— हमेशा विजयी होता है।
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