Navratri Kyu Manate Hai: नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई? जानिए सबसे पहले किसने रखा था 9 दिनों का व्रत
नवरात्रि का महत्व और इतिहास
नवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और धार्मिक उत्सवों में से एक है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है। हर साल नवरात्रि दो बार मनाई जाती है—चैत्र और शारदीय नवरात्रि। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
नवरात्रि क्यों मनाते हैं?
नवरात्रि का संबंध देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर नामक राक्षस का वध करने से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि कोई भी देवता उसे मार नहीं सकता। अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए, उसने धरती पर आतंक मचा दिया। तब देवी दुर्गा ने महिषासुर से 9 दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इसी उपलक्ष्य में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
Image Caption: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा और आराधना करते भक्त।
नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?
नवरात्रि की शुरुआत का संबंध त्रेतायुग से बताया जाता है। माना जाता है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले देवी दुर्गा की आराधना की थी और 9 दिनों तक कठोर व्रत रखा था। इसके बाद दसवें दिन रावण का वध किया और इस दिन को 'विजयदशमी' के रूप में मनाया जाता है। इसलिए नवरात्रि को शक्ति की आराधना और विजय का पर्व माना जाता है।
सबसे पहले किसने रखा था 9 दिनों का व्रत?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले भगवान राम ने ही 9 दिनों का व्रत रखा था। उन्होंने यह व्रत देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और रावण के अत्याचारों से मुक्त होने के लिए किया था। इसके बाद, यह परंपरा समय के साथ फैल गई और आज भी भक्तगण देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए 9 दिनों का व्रत रखते हैं।
नवरात्रि के 9 दिन और देवी के 9 रूप
नवरात्रि के 9 दिन देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। यह 9 रूप हैं:
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
हर दिन एक विशेष रूप की पूजा की जाती है और भक्तगण उपवास, पूजा और भजन-कीर्तन के माध्यम से देवी की आराधना करते हैं।
नवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
नवरात्रि के दौरान लोग उपवास रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। घरों और मंदिरों में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। भक्तजन उपवास के साथ-साथ माता रानी के भजनों और आरतियों का आयोजन करते हैं। अंतिम दिन, जिसे 'अष्टमी' या 'नवमी' कहा जाता है, कंजक पूजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर उन्हें भोजन कराया जाता है। दसवें दिन 'विजयदशमी' के रूप में रावण दहन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
नवरात्रि के दौरान कंजक पूजन का दृश्य।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि आत्मशुद्धि, साधना और धार्मिक आस्था का पर्व है। इस दौरान लोग अपने मन और शरीर को संयमित करने के लिए उपवास करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में एकता, शक्ति और सद्भावना का संदेश भी देता है।
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